जब हम घर बनाते है तो सबसे पहले बनता नक्शा,और जब यह नक्शा शिल्पकार को दिया जाता है घर बनाने के लिये फिर उसकी कला कल्पना उड़ान भरती है और घर के हर क्षेत्र में अपनी कला का नमूना बिखेरता चलता है।हम आपका परिचय मुम्बई महाराष्ट्र के अभिकल्प शिल्पशाला कार्यक्षेत्र के सहयोगी श्री आनंद मेनन और श्री शोभेन कोठारी (Atelier डिजाइन और डोमेन) व्दारा निर्मित आ-विला से कराते हैं। इनके व्दारा निर्मित घर में पारंपरिकता का पुट अधिक मिलता है। आप भी देख कर शायद महसूस कर सकें।
पुरातन पारम्परिक घरों में गलियारा जरूर देखने में आता है परन्तु आज कल घरों में गलियारा नहीं मिलता। इस चित्र में देखिए गलियारे की दीवार हल्के गहरे संगमरमर के सम आकार में खंडित प्रस्तरों से निर्मित है जो गलियारे में सुन्दरता को बढ़ा रही है। गलियारे के मध्य दीवार से सटा कर लकड़ी के सम्बल पर उत्तम प्रदर्शन वस्तु के रूप मे तुला रखी है और तुला के मध्य में महात्मा बुध्द की मूर्ति स्थापित की गई है।यह प्रदर्शन वस्तु हमें हमारे जीवन मूल्य की सार्थकता को दर्शाती है।तुला का अर्थ है संतुलन।इसके एक ओर धर्म और दूसरी ओर कर्म होता है,बुध्दा की मूर्ति को बीच में रखा है। गलियारे में लकड़ी की चौखट में सरकने वाले पारदर्शी काँच लगाये गये हैं। गलियारे के बाहर फर्श पर बिछी टाइल को विभाजित करती मध्य में घास की रेखा अत्यन्त सुन्दर लग रही है। आगे घास का सुन्दर बागीचा दिखाई दे रहा है जिसमें एक चबूतरा है जिस पर महात्मा बुध्द की चिन्तन-मनन लेटी हुई प्रतिमा विराजित है, ऊपर खुला आकाश, पीछे प्रकृति अपनी छाँव भरी बाँहे फैला कर ठंडी हवा के व्दारा भगवान को चिन्तन-मनन में पूर्ण सहयोग दे रही है।
देखिए यह है आ-विला का स्नानागार अर्थात स्नानगृह।दरअसल यह स्नानगृह के बाहर प्रसाधन कक्ष है क्योंकि यह भी स्नानगृह का एक अंग है इसलिए प्रसाधन कक्ष को भी स्नानगृह के साथ जोड़ा जाता है। आप दीवारों पर दृष्टिपात करें तो देखेंगे कि दीवार पर ऊपर लकड़ी का बहुत ही उत्तम कार्य किया गया है, साथ ही नीचे प्रस्तर दीवार की खुरदरी बनावट चित्ताकर्षक है।वाश-बेसिन को लकड़ी की मेज जैसा सम्बल दे कर दीवार से सटा कर लगाया गया है।वाश-बेसिन के ऊपर दीवार पर आयताकार में दर्पण लगाया है। दर्पण के दोनों ओर प्रकाश की व्यवस्था हेतु लम्बाई में सफेद लैम्प लगाये गये हैं। साथ की दीवार पर लगा कमल के फूल की पत्ती प्रस्तर चित्र लकड़ी के साँचे में जमा कर लगाया गया है। चित्र के ऊपर प्रकाश की व्यवस्था चित्र की सुन्दरता को और बढ़ा रहा है।साथ ही वस्त्रों की सुविधा हेतु दीवार पर लकड़ी की अलमारी बनी है ।
चलिेए आध्यात्म से निकल कर यथार्थ में चरण रखते हुए सर्वसुविधायुक्त आधुनिक भवन पर दृष्टि पात करते हैं।इस घर में र्जा,वायु, खुला आकाश,प्रकृति का सुन्दर समिश्रण है। फर्श से अर्श तक प्रकाश की उचित व्यवस्था है।खुले नीले आकाश के नीचे बैठने की भी व्यवस्था है।दोनों ओर घास की हरी मखमली चादर मनमोहक एवं खूबसूरती में चार चाँद लगा रही है।
चलते है बैठक कक्ष की ओर,इसमें सबसे पहले निगाह जाती है दीवार पर,जहाँ लकड़ी की दिखावटी दीवार कक्ष में जान डाल रही है। उसके आगे रखा लकडी के सोफे पर रखे दोरंगें कुशन सुन्दर लग रहे हैं।साथ ही रखा लकड़ी के चौपाय पर रखा बौध्द धर्म प्रवर्तक के प्रतीक चिन्ह के रूप में लाल रंग की वस्तु अत्यन्त सुन्दर लग रहा है ।संगमरमर की अखण्ड शिला को लकड़ी के चार पाय के साँचे में जमा कर मेज का खूबसूरत रूप दिया गया है।उस पर रखा पात्र मेज की सुन्दरता को बढ़ा रहा है।
पानी को दख कर किसका मन नहीं करता उसमें पैर डालने का या उसमें डुबकी लगाने का। जी हाँ यह है तरणताल अर्थात तैरने का तालाब।इसके आसपास आरामदायक कमरे और आरामदायक कुर्सियाँ भी हैं जिन पर लेट कर आराम से धूप का आनंद ले सकते हैं।
आप घर पर लकड़ी का उपयोग करने के लिए कुछ नए और अनूठे विचारों को देखना चाहते हैं? यह गाइड किताब आपको गाइड करेगी : एक लकड़ी का घर जेसा को नहीं