भारतीय घरों में, बुद्ध की मूर्तियों को सजावटी सामान के रूप में उपयोग किया जाता है जो आतंरिक हिस्सों में शांति का तत्व जोड़ते हैं। अपने घरों का नक्शा ओर सज्जा बनाते समय जो लोग वास्तु शास्त्र का पालन करते हैं वे भी सकारात्मक ऊर्जा का घर में आवाहन के लिए बुध की प्रतिमा इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि वास्तु के मुताबिक आप सकारात्मक ऊर्जा से पूर्ण लाभ तभी उठा सकते हैं जब सही स्थान पर मूर्ति रखते हैं?
इस विचारधारा में, हमने कुछ युक्तियों को उजागर किया है जो आपको घर में सही जगह पर बुद्ध प्रतिमा स्थापित करने में मदद ओर उसके माध्यम से बहती सकारात्मक ऊर्जा का लाभ उठाने में भी।
बाहर से आने वाले मेहमान का स्वागत स्थल हर वक़्त स्वच्छ ओर निर्मल होने के साथ-साथ शांत वातावरण वाला भी होना चाहिए इसलिए बैठक कमरे में बड़ी बुद्ध की मूर्ति रखकर इस लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश की जा रही है। मूर्ति को स्थापित करने के दौरान यह ध्यान रखें कि प्रतिमा प्रवेश द्वार का सामना करती हो।
घर के भीतर दरवाजे का सामना करते हुए बौद्ध की प्रतिमा रखने से न केवल सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है, बल्कि नकारात्मक शक्तियां का द्वार पर रोक लग जाता है जिनसे घर में बुराई हो सकती हैं। फर्श पर बुद्ध की मूर्ति रखने के बजाय, यह सिफारिश की जाती है कि प्रतिमा को एक मेज या कैबिनेट पर सेट किया जाए जो कम से कम अढ़ाई फुट ऊंचा हो ।
अपने बच्चों के अध्ययन क्षेत्र में मेज पर या दीवार शेल्फ पर बुद्ध की प्रतिमा रखना चाहिए जहां से वो प्रतिमा को देख सकते हैं जिससे उनके अध्यन में शुभ तत्व का प्रकाश बना रहता है। यह मूर्ति कमरे में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने के साथ शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
आपका कार्यस्थल घर हो या दफ्तर, वह पर एक छोटी बुद्ध की मूर्ति लगाने से सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए सहायक होगा और व्यापार में समृद्धि के साथ सफलता अर्जित करने में मदद करेगा। इस तरह के छोटे बुध की मूर्ति अपनी मेज पर रखें जहा कार्य करते है या उसके करीब।
उद्यान विश्राम के लिए होता है और एक कोने में एक बुद्ध प्रतिमा स्थापित करने से क्षेत्र आश्चर्यजनक शांति और सुख महसूस होता है। ध्यान रहे कि बगीचे के अंदर के बौद्ध की प्रतिमा के आस-पास कोई गंदगी न फैली हो और अगर पानी का श्रोत हो तो और उपयोगी बन जाता हैं । उद्यान में अगर बुद्ध की ध्यान या रिलिनी मुद्रा में हो तो सबसे आदर्श है।
बुद्ध की प्रतिमा योग या धयान कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है जो ध्यान या योग के अभ्यास के लिए जरूरी है। प्रतिमा को ध्यान स्थल के आंखों के स्तर या उच्चतर पर रखें ताकि आप बैठे हों तो उस पर ध्यान दें। सफेद संगमरमर की प्रतिमा इस कार्य के लिए परिपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र में सुखदायक तत्व जोड़ती है।
बौद्ध धर्म मानने वाले घर में मूर्ति आम तौर पर पूजाघर की वेदी में रखते हैं, जहा हर दिन अगरबत्ती, फूल, जल इत्यादि से उनकी पूजा की जाती है । जिस तरह कई धर्म को पालन करने वाले वेदी या प्रार्थना कक्ष स्थापित करते हैं पूजा-पाठ करने के लिए उस जगह इस धर्म के पालक भी ऐसे स्थान का चयन करते हैं जो परेशानी से मुक्त है।
वस्तु शास्त्र के विशेषज्ञों का मानना है कि बुद्ध की मूर्तियों को चुनाव हमेशा स्वाभाविक होना चाहिए । यदि आप अपने घर के लिए बुद्ध की मूर्ति के प्रकार के बारे में अनिश्चित हैं, तो हंसने वाला बुद्ध सुरक्षित विकल्प है क्योंकि यह माना जाता है ये मूर्ति घर में खुशाली और समृद्धि का आवगमन कर सकता है।
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